कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
अर्थ- हे प्रभु जब क्षीर सागर के मंथन में विष से भरा घड़ा निकला तो समस्त देवता व दैत्य भय से कांपने लगे आपने ही सब पर मेहर बरसाते हुए इस विष को अपने कंठ में धारण किया जिससे आपका नाम नीलकंठ हुआ।
शबरी सँवारे रास्ता आएंगे राम जी - राम भजन
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो । यहि अवसर मोहि आन उबारो ॥
इनमें से सोमवार को भगवान शिव की पूजा में क्या चढ़ाना शुभ होता है?
दुर्गम काज जगत के जेते। सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
हरं सर्पहारं चिता भूविहारं भवं वेदसारं सदा निर्विकारम् ।
पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
द्वादश ज्योतिर्लिंग मंत्र
धन निर्धन को देत सदा हीं। जो कोई जांचे सो फल पाहीं॥
अपना मुंह पूर्व दिशा में रखें और कुशा के आसन पर बैठ जाएं।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे more info ॥ ॐ जय शिव…॥